महाराष्ट्र सरकार के पास धारावी मामले पर खामियों का बचाव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं: कांग्रेस

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पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि मूल निविदा हासिल करने वाली कंपनी को दरकिनार कर अडाणी समूह को यह परियोजना सौंपी गई है।

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार के पास इसके सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा कि वह मुंबई की धारावी परियोजना अडाणी समूह को देने के अपने फैसले का बचाव करे क्योंकि उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आदेशों का क्रियान्वयन करने के साथ अपनी खामियों को भी ढकना है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि मूल निविदा हासिल करने वाली कंपनी को दरकिनार कर अडाणी समूह को यह परियोजना सौंपी गई है।

उधर, महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा है कि मुंबई में धारावी झोपड़पट्टी पुनर्विकास परियोजना के लिए 2022 में जारी की गई नई निविदा पूरी तरह पारदर्शी थी और सबसे ऊंची बोली लगाने वाले अडाणी समूह को इसमें किसी तरह का अनुचित लाभ नहीं दिया गया।
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के आदेशों को क्रियान्वित करने और धारावी झोपड़पट्टी पुनर्विकास परियोजना को उनके सबसे पसंदीदा कारोबारी को सौंपने के बाद, अडाणी समूह को एक मूल्यवान अचल संपत्ति का नियंत्रण लेने में मदद करने के लिए संदिग्ध फैसले करने और खामियों का बचाव करने के अलावा महाराष्ट्र सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचा।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘धारावी परियोजना की मूल निविदा, जिसे दुबई स्थित एक कंपनी ने 7,200 करोड़ रुपये की बोली लगाकर जीता था, उसे रेलवे भूमि के हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों के कारण 2020 में रद्द कर दिया गया था। लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा जारी की गई नयी (2022) निविदा की शर्तों को अडाणी की मदद करने के लिए तैयार किया गया था, जो मूल निविदा में दूसरे स्थान पर आया था।’’
रमेश ने कहा, ‘‘इसमें बोली लगाने वालों के लिए निर्धारित कुल संपत्ति को दोगुना कर 20,000 करोड़ रुपये करने का प्रावधान शामिल किया गया। विजेता को मूल रूप से निर्दिष्ट एकमुश्त भुगतान के बजाय किस्तों में भुगतान करने की अनुमति दी गई, जिससे नकदी संकट से जूझ रहे अडाणी समूह को 5,069 करोड़ रुपये की बोली जीतने में मदद मिली। यानी मूल विजेता बोली की तुलना में 2,131 करोड़ रुपये कम बोली लगाई गई।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इतना ही नहीं, कम से कम एक हजार करोड़ रुपये की रेलवे की जमीन को सरकार द्वारा अधिग्रहीत कर उसे थाली में सजाकर अडानी को सौंप दिया जा रहा है।

इसके अलावा, रेलवे कर्मचारियों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए सभी पुनर्वास लागत भी सरकार द्वारा वहन की जाएगी। प्रधानमंत्री के सबसे करीबी दोस्त को दी गई ये असाधारण रियायतें ‘‘मोडानी है तो मुमकिन है का एक ज्वलंत उदाहरण है।’’

कांग्रेस नेता ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘आवास मंत्री के तौर पर अपने आखिरी दिन (पिछले दिनों मंत्रालय का प्रभार बदले जाने) ही देवेन्द्र फड़णवीस ने धारावी को अडानी को सौंप दिया। यह और बात है कि स्थायी ‘सीएम-इन-वेटिंग’ के लिए यह उपकार अभी तक भुगतान नहीं किया गया है।

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