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मराठी क्रांति मोर्चा और महा विकास अघाड़ी के घटक दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा भी विरोध प्रदर्शन किया गया, जबकि सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू) ने जालना घटना की निंदा की। जालना में शुक्रवार को भड़की हिंसा के दौरान करीब 40 पुलिसकर्मी और कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए और कई बसों में आग लगा दी गई। इस मामले में कथित तौर पर संलिप्तत 350 से अधिक लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा शुक्रवार को की गई कार्रवाई के विरोध में शनिवार को ठाणे, नासिक और लातूर सहित कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए।
मराठा क्रांति मोर्चा के आह्वान पर लातूर में आयोजित बंद के दौरान दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहे। यहांपूर्वाह्न करीब दस बजे छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर एक बैठक आयोजित की गई। बंद के दौरान राज्य संचालित महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) की बसें सड़कों से नदारद रहीं।
अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर स्कूल और कॉलेज दिन में बंद रहे। मराठा समुदाय को शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण देने की मांग को लेकर संगठन के कार्यकर्ताओ ने मोटरसाइकिल रैली भी निकाली।
संगठन के पदाधिकारी ने बताया कि जिले के निलांगा तहसील के रेनापुर और औरद शाहजानी में भी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया।
जालना की घटना के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने ठाणे शहर की मुख्य सड़कों पर एक रैली निकाली। मराठा महासंघ द्वारा आयोजित रैली मसुंदा तालाब इलाके से शुरू हुई, जहां शिवसेना-भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाए गए।
आयोजकों ने दावा किया कि मराठों को जानबूझकर शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण से वंचित किया गया है और उन्होंने भविष्य में आक्रामक आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी।
नासिक में संभाजी ब्रिगेड और स्वराज्य संगठन के नेतृत्व में जिला कलेक्टरेट के सामने और साथ ही चंदवड और येओला जैसे इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने जालना के पुलिस अधीक्षक को निलंबित करने के साथ-साथ मराठा आरक्षण के मुद्दे का यथा शीघ्र समाधान की मांग की।मराठी क्रांति मोर्चा और महा विकास अघाड़ी के घटक दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा भी विरोध प्रदर्शन किया गया, जबकि सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू) ने जालना घटना की निंदा की।
जालना में शुक्रवार को भड़की हिंसा के दौरान करीब 40 पुलिसकर्मी और कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए और कई बसों में आग लगा दी गई। इस मामले में कथित तौर पर संलिप्तत 350 से अधिक लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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