कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में नागफनी रोपण को बढ़ावा दिया जाएगा : गिरिराज सिंह

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Giriraj Singh

ANI

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि बंजर भूमि को पुन: उपजाऊ बनाने, आजीविका बढ़ाने के साथ-साथ जैव ईंधन के उत्पादन की संभावना तलाशने के लिए कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में नागफनी (कैक्टस) के रोपण को बढ़ावा देने पर सरकार विचार कर रही है।

नई दिल्ली। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि बंजर भूमि को पुन: उपजाऊ बनाने, आजीविका बढ़ाने के साथ-साथ जैव ईंधन के उत्पादन की संभावना तलाशने के लिए कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में नागफनी (कैक्टस) के रोपण को बढ़ावा देने पर सरकार विचार कर रही है।
सिंह ने यह भी बताया कि राजस्थान के हिंगोनिया में इस्कॉन गौशाला के आसपास ‘स्पाइनलेस कैक्टस’ लगाने की एक पायलट परियोजना वर्तमान में कार्यान्वित की जा रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का लगभग 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र बंजर भूमि की श्रेणी में है।

सिंह ने कहा, ‘‘हम बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और नागफनी एक ऐसा पौधा है जो बहुत कम सिंचाई के साथ उग सकता है। यह जमीन में कार्बन को सोखने के लिए भी जाना जाता है और ऊर्जा वाला पौधा है जिसका उपयोग मीथेन के उत्पादन के लिए किया जा सकता है…।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम ऐसे क्षेत्रों में कैक्टस के बागान लगाने की योजना बना रहे हैं।

एक पायलट परियोजना जयपुर के पास (हिंगोनिया में) शुरू की गई है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत भू संसाधन विभाग को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) के ‘वाटरशेड डेवलपमेंट शेड’ के माध्यम से बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि की श्रेणी में लाने का काम सौंपा गया है।
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि जैव ईंधन, भोजन, चारा और जैव-उर्वरक उत्पादन के लिए इसके उपयोग के वास्ते बंजर भूमि पर कैक्टस रोपण की संभावना का पता लगाया जा रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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